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Heart attack :
वर्तमान समय में हार्ट अटैक की घटनाएं बढ़ गई हैं। कैसे होता है ये हमला? क्या लक्षण हैं? आइए जानते हैं कैसे बरतें सावधानियां. दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय को पर्याप्त रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है या ऑक्सीजन युक्त रक्त शरीर के अंगों तक नहीं पहुंच पाता है। समय पर इलाज न हो तो जान भी चली जाती है।
कार्डियक अरेस्ट का दीर्घकालिक हृदय रोग से कोई संबंध नहीं है। लेकिन, यह समस्या अचानक तब होती है जब हृदय रक्त पंप करना बंद कर देता है। हृदय के भीतर वेंट्रिकुलर फ़िब्रिलेशन होता है जिसके कारण हृदय धड़कना बंद कर देता है। ऐसा होने पर व्यक्ति की कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है।
1. कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण?
कार्डिएक अरेस्ट अन्य हृदय रोगों से अलग है और अचानक होता है। इसलिए इसमें कोई लक्षण नजर नहीं आते। जिन लोगों को दिल से जुड़ी कोई बीमारी है, उन्हें इसका ख़तरा ज़्यादा है। दिल का दौरा पड़ने से पहले सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, थकान या ब्लैकआउट जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
2. कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में क्या करें?
यदि किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट हो रहा है, तो तुरंत कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दिया जाना चाहिए। जो मरीजों की हृदय गति को रुकने से रोक सकता है। यह धड़कनों को सहज बनाने में भी मदद करता है। दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को बिजली का झटका देकर उसकी दिल की धड़कन को भी नियमित किया जाता है। अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करे।
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